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उसका दोष क्या है भाग - 14 15 पार्ट सीरीज

    उसका दोष क्या है (भाग-14) 

           कहानी अब तक
विद्या को अतिथि कक्ष में रहने के लिए  मजबूर किया गया अपने ही घर में, और इसकी शिकायत करने पर रमेश उसे कई प्रकार से बहलाता है। 
                 अब आगे
विद्या को लग रहा था वह अपने ही घर में अतिथि बन गई है। रसोई में जाती तो पहले से ही संगीता नौकरानी की सहायता से काम कर रही होती। विद्या को देख बोलती -  
    "क्या चाहिए तुम्हें,मुझे बताओ न मैं देती हूं। तुम यूं ही दिनभर की थकी रहती हो,कितना काम करोगी। फिर भी वह अपनी पसंद से कुछ पका लेती,तो इसके लिए उसे संगीता मना भी नहीं करती थी। कुल मिलाकर संगीता का व्यवहार उसके साथ अच्छा ही था l सासु मां और ससुर जी भी पूरा ध्यान रखते उसका l रमेश तो सदा उसके समक्ष अपने प्यार की कसमें खाता रहता,और उसकी प्रत्येक सुख-सुविधा का ध्यान रखता। रात को सोते समय वह स्वयं उसके लिए दूध लेकर आता। कभी-कभी तो उसे लगता इस घर के लिए वह सबसे महत्वपूर्ण सदस्य है। उसके बिना इस घर की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
बस उसे एक ही कमी खटक रही थी,वह मां नहीं बन पा रही थी,जबकि अब तक संगीता 3 बच्चों की मां बन चुकी थी - दो बेटी और एक बेटा। विद्या समझ नहीं पा रही थी आखिर वह माँ क्यों नहीं बन पा रही। उसने कई बार रमेश से अपनी जांच करवाने के लिए अनुरोध किया था,परंतु रमेश आजकल कहते टाल दे रहा था। विद्या को मात्र अपनी ही जांच करवानी थी,क्योंकि रमेश में तो निश्चित रूप से कमी नहीं थी, तभी तो संगीता तीन बच्चों की मां बन गई थी।
    एक बार उसके स्कूल में चिकित्सा कैंप लगा था,जिसमें शहर के बड़े-बड़े डॉक्टर आए हुए थे। वे स्कूल के विद्यार्थियों के अतिरिक्त अन्य स्थानीय निवासियों की भी चिकित्सा कर रहे थे। विद्यालय के अन्य शिक्षक शिक्षिकाओं के साथ विद्या भी उन्हें कार्य में सहयोग कर रही थी। विद्या ने भी इस अवसर का लाभ उठाना चाहा। स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक भी आई थीं। वह आसपास के ग्रामीण एवं अन्य नागरिकों की जांच कर रही थीं। जब विद्या ने उनसे अपनी जांच करने की बात कही तो चिकित्सक ने फौरन उसे जाँच के लिये बुला लिया। विद्या को स्थानीय लोगों के समक्ष अपनी जांच करवाने में पहले तो हिचकिचाहट हो रही थी। वह सबके बीच अपनी जांच करवाने जाना नहीं चाहती थी परन्तु साथी शिक्षिकाओं के समझाने पर उसने शर्म छोड़कर स्त्री रोग विशेषज्ञ से अपनी जांच करवाया।
   उन्होंने उसकी जांच कर बताया -   "ऐसे तो कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं दिख रही है,आप गर्भनिरोधक लेना बंद कर दें और देखें परिणाम क्या होता है। यदि सकारात्मक परिणाम नहीं हुआ तो फिर कुछ जांच करवानी होगी आपको"।
   विद्या  -  "परंतु मैं तो गर्भनिरोधक लेती ही नहीं हूं"।
चिकित्सक -   "मैं कुछ जांच लिख दे रही हूं,इसे आप करवा लीजिए इसकी रिपोर्ट देखकर ही बता पाऊंगी"।
   विद्या  -     "क्या यहां कैंप में जांच हो जाएगा"?
चिकित्सक  -  विशेषज्ञ जांच केंद्र में जाकर करवाना होगा,यहां सामान्य बीमारियों की चिकित्सा का ही साधन लेकर हम लोग आए हैं। छोटी-मोटी सामान्य जाँच की व्यवस्था तो यहाँ ह,परंतु आप की जांच नहीं हो पाएगी"।
    चिकित्सक ने उसे जांच केंद्र का पता लिखकर दे दिया और कहा जांच करवा लेने के लिए। चिकित्सक ने उसे अपने क्लीनिक का भी पता और फोन नंबर दे दिया,आगे की जांच करवाने के लिए।
  विद्या ने आकर यह सब कुछ रमेश को बताया और अपनी जांच करवाने के लिए उससे कहा।
   रमेश   -   "अरे तुम इतनी बेचैन क्यों हो गई हो बच्चे के लिये। अगर तुम्हें कोई  शारीरिक परेशानी नहीं हो रहा है तो फिर बच्चा नहीं होने से मुझे तो कोई अंतर नहीं पड़ता। मैं तुम्हें पहले भी चाहता था, और अब भी चाहता हूं। और वादा रहा अपनी पूरी जिन्दगी ऐसे ही चाहता रहूंगा"।
    विद्या  -  "परंतु प्रत्येक स्त्री मां बनना चाहती है। तुम तो पिता बन चुके हो,मैं तो मां नहीं बन पाई"।
"तुम्हारी इतनी इच्छा है तो जाँच करवा दूंगा। वैसे मुझे नहीं लगता तुम्हारा इतना परेशान होना उचित है। वैसे भी बच्चा होने के बाद तुम कैसे संभालोगी उसे। अपनी नौकरी देखोगी या बच्चे को संभालोगी"?
    विद्या   -   "मेरे साथ काम करने वाली सभी शिक्षिकाओं के बच्चे हैं। उनके बच्चे जैसे संभले वैसे ही मेरे भी संभल जाएंगे। क्या माँजी मेरी सहायता नहीं करेंगी,जैसे संगीता की सहायता करती हैं"?
  रमेश  -   "संगीता तो लगातार घर में रहती है। बच्चे का सारा काम वह स्वयं करती है,मां सिर्फ उसकी सहायता करती हैं। तुम्हारे बच्चे को पूरी तरह उन्हें ही संभालना होगा,और अब इस उम्र में क्या वे बच्चे का पूरा काम कर पाएंगी"?
    विद्या  -    "संगीता तो घर में है न! तय तो यही बात हुई भी थी,मैं बाहर का सब संभाल लूंगी और संगीता घर संभालेगी। आखिर अपने बच्चों को उसने संभाला तो क्या मेरे बच्चे को नहीं संभाल लेगी"?
   "जैसी तुम्हारी इच्छा"- कहकर रमेश ने बात समाप्त कर दी।
   विद्या की जांच का मामला आजकल आजकल होते ठंडे बस्ते में पड़ गया था। इधर तो संगीता भी पुनःअपने मायके चली गई थी,तो विद्या को स्कूल से आने के बाद और स्कूल जाने के पहले भी घर के बहुत सारे काम करने होते थे। रविवार की छुट्टी में भी घर में इतना अधिक काम हो जाता है कि विद्या जा नहीं पाती थी चिकित्सक के पास।
   ऐसे ही समय व्यतीत होता जा रहा था। उसके विवाह को 12 वर्ष हो चुके थे,और वह अब तक मां नहीं बन पाई थी, जबकि संगीता तीन बच्चों के बाद अभी पुनः मां बनने वाली थी।
   कथा जारी है। 
                                     क्रमशः
        निर्मला कर्ण

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1 Comments

वानी

16-Jun-2023 09:54 PM

Nice

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